अभंग – हरिने माझे हरिले चित्त | Hari ne Majhe Harile Chitt ( based on Classical Raaga : Aasavari ) वारकरी सांप्रदाय पारंपारिक चाल by Rutuja Khandbahale.
हरिने माझे हरिले चित्त | भार वित्त विसरले | | १ | |
आता कशी जाऊ घरा | नोहे परा हा लौकिक | | २ | |
पारखीयांसी सांगता गोष्टि | घरची कुटी ही खातील | | ३ | |
तुका म्हणे निवांत राही | पाहीले पाही परतोनी | | ४ | |
Singer : ऋतुजा खांडबहाले
Master : ह.ब.प. श्री. दशरथ महाराज घुले