1 to 5 Manache Shlok | Easy to learn | Rutuja Khandbahale |

1 to 5 Manache Shlok | Easy to learn | Rutuja Khandbahale

गणाधीश जो ईश सर्वां गुणांचा।
मुळारंभ आरंभ तो निर्गुणाचा॥
नमूं शारदा मूळ चत्वार वाचा।
गमूं पंथ आनंत या राघवाचा॥१॥

मना सज्जना भक्तिपंथेचि जावें।
तरी श्रीहरी पाविजेतो स्वभावें॥
जनीं निंद्य तें सर्व सोडूनि द्यावें।
जनीं वंद्य ते सर्व भावे करावे॥२॥

प्रभाते मनी राम चिंतीत जावा।
पुढे वैखरी राम आधी वदावा॥
सदाचार हा थोर सांडूं नये तो।
जनीं तोचि तो मानवी धन्य होतो॥३॥

मना वासना दुष्ट कामा न ये रे।
मना सर्वथा पापबुद्धी नको रे॥
मना सर्वथा नीति सोडूं नको हो।
मना अंतरीं सार वीचार राहो॥४॥

मना पापसंकल्प सोडूनि द्यावा।
मना सत्यसंकल्प जीवीं धरावा॥
मना कल्पना ते नको वीषयांची।
विकारे घडे हो जनी सर्व ची ची॥५॥

Singer : Rutuja Khandbahale
Master : Manisha Thube Teacher

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