अभंग – Uttam Ha Chaitramas Rutu Vasantacha Divas | उत्तम हा चैत्रमास त्रृतु वंसताचा दिवस | वारकरी सांप्रदाय पारंपारिक चाल | by Rutuja Sunil Khandbahale
उत्तम हा चैत्रमास |
त्रृतु वंसताचा दिवस || १ ||
शुक्ल पक्षी ही नवमी |
उभें सुरवर ते व्योमीं || २ ||
माध्यान्हासी दिनकर |
पळभरी होय स्थिर || ३ ||
धन्य मीच त्रिभुवनीं |
माझे वंशी चक्रपाणी || ४ ||
सुशोभित दाही दिशा |
आनंद नरनारी शेषा || ५ ||
नाहीं कोसल्येसी भान |
गर्भी आले नारायण || ६ ||
अयोनी संभव |
प्रकटला हा राघव || ७ ||
नामा म्हणे डोळां |
पाहीन भुवनत्रयपाळा || ८ ||
Singer : ऋतुजा सुनिल खांडबहाले
Master : गुरुवर्य डॉ. श्री. किसन महाराज साखरे